‘रॉकेट बॉयज’, ‘मिशन मंगल’, शकुंतला देवी जैसे शोज व फिल्मों में है साइंस और गणित की दुनिया का...

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'रॉकेट बॉयज', 'मिशन मंगल', शकुंतला देवी जैसे शोज व फिल्मों में है साइंस और गणित की दुनिया का जबरदस्त रोमांच
Jan 27th 2022, 07:23, by Anupriya Verma

'रॉकेट बॉयज', 'मिशन मंगल', शकुंतला देवी जैसे शोज व फिल्मों में है साइंस और गणित की दुनिया का जबरदस्त रोमांच

सोनी लिव पर आने वाली वेब सीरीज 'रॉकेट बॉयज' का ट्रेलर हाल ही में देखा। यह सीरीज भारत के स्पेस प्रोग्राम के जनक माने जाने वाले डॉ होमी जहांगीर भाभा और न्यूकिलियर फिजिसिस्ट डॉ विक्रम साराभाई की जिंदगी पर आधारित है। ट्रेलर इस दिलचस्प अंदाज़ में बना है कि इस सीरीज को पूरी तरह से देखने की उत्सुकता बढ़ा दी मेरी। ट्रेलर देखने के बाद, एक एक कर मेरे सामने वे सारे चेहरे आने लगे, जिन्होंने अपने ज्ञान के माध्यम से बहुत सम्मान दिलाया और शुक्रिया फिल्मकारों का की, ऐसे महान ज्ञान के फनकारों की उपलब्धियों को उन्होंने अपनी फिल्मी  कैमरे के माध्यम से हम तक पहुंचाया। ऐसे में जबकि 'रॉकेट बॉयज' रिलीज के नजदीक है, मेरे जेहन में एक बार फिर से वे सारी फिल्में व सीरीज की छवि सामने आयीं, जिनमें हमारे देश को कुछ साइंटिस्ट व गणितज्ञों ने सम्मान दिलाया। अक्षय कुमार की 'मिशन मंगल' भी उस लिहाज से एक मजेदार फिल्म रही। तो मैं यहाँ ऐसी कुछ सीरीज व फिल्मों की चर्चा करने जा रही हूँ, जिसने मुझे तो एक बार फिर से प्रेरित किया कि मैं दोबारा अपने स्कूल की किताबों के पन्ने पलटूँ और इन महान लोगों के बारे में और विस्तार से जानूं।

रॉकेट  बॉयज

'रॉकेट  बॉयज' का ट्रेलर काफी दिलचस्प है। इस सीरीज में आप डॉ होमी जहांगीर भाभा और न्यूकिलियर फिजिसिस्ट डॉ विक्रम साराभाई के विज्ञान के क्षेत्र में दिए गए योगदानों के बारे में जान पाएंगे। इस सीरीज में यह दिखाने की कोशिश है कि कैसे इन दो महान दूरदर्शी लोगों ने एक बड़ा सपना सिर्फ देखा नहीं, बल्कि उसे पूरा भी किया। इस सीरीज की कहानी में दिखाया जाएगा कि भारत की आजादी मिलने के बाद, जब 1962 में चीन भारत पर हमला करता है। डॉ भाभा एटम बम बनाने में जुड़ते हैं, लेकिन डॉ साराभाई चाहते हैं कि इसकी बजाय स्पेस मिशन पर ध्यान दिया जाये। ऐसे में कैसे यह द्वंद्व खत्म होता है।  डॉ एपीजी कलाम कहानी में आते हैं। कैसे उनकी भी प्रतिभा निखरती है। इस सीरीज में यह सबकुछ देखने की गुंजाईश है। जिम सरभ और इश्वाक सिंह प्रोमिसिंग लग रहे हैं। अबतक मैंने इनके बारे में केवल किताबों में ही पढ़ा है और  इसलिए इनके बारे में विस्तार से देखने के लिए मुझे इस सीरीज का बेसब्री से इंतजार है। यह सीरीज 4 फरवरी से सोनी लीव पर उपलब्ध होगी।

मिशन मंगल

'मिशन मंगल' में अक्षय कुमार, तापसी पन्नू, सोनाक्षी सिन्हा, विद्या बालन, कीर्ति कुल्हारी और नित्या मेनन जैसे दिग्गज कलाकारों ने काम किया है। इस फिल्म की कहानी मिशन मार्स प्रोजेक्ट की कमान महिलाओं के हाथों से पूरा करने पर आधारित है। कैसे कई बार असफल होने के बाद इन महिलाओं ने मिल कर मिशन मार्स को पूरा किया है, वह देखना बेहद दिलचस्प है।

शकुंतला देवी

विद्या बालन की फिल्म 'शकुंतला देवी' महान गणितज्ञ शकुंतला देवी पर ही आधारित है। एक ऐसी लड़की की कहानी, जो पुरुष प्रधान समाज में अपनी पहचान बनाती है, अपनी पहचान के लिए वह अपने परिवार से भी समझौते करती है। लेकिन अपने काम के प्रति जूनून नहीं छोड़ पाती है। विद्या ने बेहद दिलचस्प तरीके से इसे निभाया है।

रॉकेटरी : द नम्बि इफेक्ट

'रॉकेटरी : द नम्बि इफेक्ट' आर माधवन के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। नम्बी नारायणन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिक थे, जिन्हें देश से गद्दारी करने के झूठे आरोपों में फंसाया गया था।  लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिर  26 साल की लंबी लड़ाई लड़ी और अंतत : 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बेगुनाह साबित किया। आर माधवन की यह फिल्म एक व्यक्ति के अस्तिव की कहानी होगी, जिसमें हम साइंस की अलग ही दुनिया में जाने वाले हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस फिल्म में आर माधवन अभिनेता तो हैं ही , लेकिन इसके साथ-साथ निर्देशक के रूप में भी पहली शुरुआत कर रहे हैं।

एम ओ एम

ऑल्ट बालाजी लेकर आये 'एम ओ एम'।  इसकी कहानी भी मिशन मार्स पर ही आधारित होती है। इस शो में साक्षी तंवर और मोना सिंह का काम बेहतरीन रहा है। इस शो की खासियत रही कि इसके बावजूद कि अक्षय कुमार की मिशन मंगल कामयाब हो चुकी थी, इसकी रिलीज से पहले, लेकिन किरदारों ने जिस कदर इसमें अभिनय किया है, एक बार फिर से उसी विषय पर यह कहानी काफी रोचक लगी। दरअसल, साइंस विषयों की यही तो खूबी है कि यह इतनी रुचिकर विषय वाली कहानियां होती हैं कि आप इन्हें बार-बार दोहरा कर देख सकते हैं और आप इससे बोर भी नहीं होंगे।

इनके अलावा श्वेता त्रिपाठी और विक्रांत मेसी की फिल्म 'कार्गो' में साइंस फिक्शन की बात की गई है। साइंस फैंटेसी को लेकर यह भी अद्भुत फिल्म बनी है, जिसमें कल्पना की दुनिया में कभी आप स्पेस तो कभी किसी और दुनिया में चले जाते हैं।

इन सीरीज या फिल्मों की खासियत मुझे सबसे अधिक यह लगती है कि आप इसे कई जेनेरेशन को दिखा सकते हैं, यह प्रासंगिक ही रहेगी। ऐसे दौर में जब सेल्फी में ही दुनिया सिमट गई है, सोशल मीडिया से इतर साइंस की दुनिया को जानना दिलचस्प होगा इन सिनेमाई प्रोजेक्ट्स के माध्यम से। जॉन अब्राहम की 'परमाणु' भी इस क्रम में शानदार फिल्म रही है।


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